Booting Kya Hota Hai | computer में बूटिंग क्या है | what is booting process
जब हम किसी भी computer को start करते है तो इस दौरान computer द्वारा एक automatic process को चलाया जाता है इसी operation या कहे process के कारण computer start हो पता है. इसी process को बूटिंग कहा जाता है. बूटिंग एक ऐसा process होता है जिसकी के कारण एक computer start हो पता है
बूटिंग के दौरान कंप्यूटर जो है वो सिस्टम के सभी hardware और software को check करता है. इसके अलावा उन files को भी load करता है जिनकी मदद से system को start और running condition में लाया जा सके.
Booting क्यों आवश्यक है | बूटिंग क्यों जरूरी है बूटिंग क्यों की जाती है
Booting के समय पर जितनी भी files Read only memory chip में store होती है उनको system को run करने के लिए load किया जाता है. बूटिंग process के दौरान सिस्टम फाइलों से सभी सूचनाओं को पढ़ा जाता है जो Read only memory में होती है और Read only memory उन सभी instructions को read करेगा जो इन फाइलों में संग्रहीत हैं।
सिस्टम के बूट होने के बाद यह automatically सिस्टम पर सभी जानकारी को दिखायेगा. सिस्टम को शुरू करने के लिए आवश्यक निर्देश बूटिंग के समय read किये जाते है
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बूटिंग कितने प्रकार की होती है | types of booting in Hindi
बूटिंग दो प्रकार की होती है एक होती है वार्म बूटिंग दूसरी होती है दूसरी होती है कोल्ड बूटिंग. चलिए इनके बारे में detail में जान लेते है
कोल्ड बूटिंग
जब हम off computer को start करते है power button को दबा कर तो वो कोल्ड बूटिंग होती है. Power button के दबाने से सबसे पहले microprocessor start होता है उस के बाद rom को read किया जाता है जिसके बाद boot process शुरू हो जाता है. कोल्ड boot को hard boot, cold start या dead start के नाम से भी जाना जाता है
किसी भी computer को cold boot start तभी माना जायेगा जब वो पहले shutdown state में हो. यानी computer में किसी भी तरह का hardware, peripheral, network या software चालू हालत में नहीं होने चाहिए. और पूरा computer पूरी तरह से बंद होना चाहिए
कई बार Computer को cold start करना computer के लिए बहुत जरूरी भी हो जाता है खास कर तब जब कोई software या hardware समस्या पैदा कर रहे हो. कई बार सिर्फ cold start करने भर से ही समस्या का निवारण हो सकता है
cold start करने से Read only memory flush हो जाती है इसके इसके अलावा caches भी clear हो जाता है कई बार सिर्फ cold start करने भर मात्र से computer सही से काम करने लग जाता है.
वार्म बूटिंग
warm booting को तब किया जाता है जब system को किन्हीं वजह से restart करना पड़ रहा हो. Warm booting में आप system को restart करते है. इसके लिए आप restart button का इस्तेमाल कर सकते है या CTRL+ALT + delete का भी इस्तेमाल कर सकते है. आम तौर पर warm booting का इस्तेमाल तब किया जाता है जब system respond करना बंद कर देता है या hang हो जाता है
Warm boot को soft boot के नाम से भी जाना जाता है और basically ये system को restart करना होता है
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कोल्ड और वार्म बूटिंग में क्या अंतर होता है | Difference between cold and warm booting in Hindi
Cold booting में computer को shutdown या powerless state से start किया जाता है. वही warm booting basically computer को restart करना होता है. Warm booting को तब किया जाता है जब computer respond करना बंद कर देता है या hang हो जाता है. बस यही दोनों में basic अंतर है
Warm booting operating system की मदद से किया जाता है वही cold booting complete shutdown होने पर होता है और ये processor, read only memory और BIOS की मदद से किया जाता है. Warm booting में यही main role play करते है
Booting process step by step in Hindi | बूटिंग की प्रक्रिया
तो चलिए जान लेते है की जब आप बूटिंग करते है तो computer क्या process follow करता है
तो आपको बता दे booting करने पर सबसे पहले क्या होता और एक computer boot होने के दौरान किस process या steps से गुज़रता है. यहाँ पर हम कोल्ड बूटिंग को ध्यान में रख कर आप को बूटिंग process के बारे में बता रहे है
1. startup
ये first step होता है और जब भी आप computer को power on करते है main power source से electric power जो है power supply से होते हुए Motherboard के through processor और BIOS तक पहुँचती है
2. BIOS initial checks
Second step में BIOS के द्वारा test किया जाता है BIOS शुरुवाती test करता है की computer के सभी input और output software और hardware चलने योग्य है की नहीं अगर BIOS को कोई खराबी मिलती है तो error मिलने पर BIOS beep की sound निकलता है
3. OS Loading
तीसरे step में main memory के अन्दर operating system को load किया जाता है. जिसके बाद operating system start हो जाता है और computer को चलने के लिए जरूरी शुरुवाती files को run करता है
4. System configuration
Fourth step में main memory में drivers load हो जाते है. Drives ऐसे programs होते है जो computer के साथ जुड़े peripheral devices को run करने में मदद करते है
5. system Utilities loading
पांचवे step में system utilities load होती है. system utilities basic programs होते है जो की computer को basic functioning provide करते है. जैसे की antivirus या volume control. इस step में system utilities memory में load होती है
6. User authentication
ये छठा step optional होता है अगर computer administrator ने computer start पर कोई login ID और password डाल रखा है तभी ये आता है नहीं तो सीधा computer start हो जाता है. अगर login password set किया हुआ है तो login screen पर आपको password डालना होगा तभी full operating system functional होगा
Conclusion
अगर आपने जीवन में कभी भी computer को on किया है तो न जानते हुए भी आपने computer को boot जरूर किया है. booting computer का एक बहुत जरूरी process है. इसके अलावा ये computer में आने वाले छोटे मोटे hangs या troubles को भी सही कर देता है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता की computer boot ही नहीं होता. ऐसे में आपको computer technician की जरूरत पड़ सकती है. तो दोस्तों आशा करते है आप ये जान गए होगे की booting kya hai. अगर बूटिंग को लेकर आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमसे उसे comment section में पूछ सकते है